रविवार, 25 सितंबर 2011

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शुक्रवार, 17 जून 2011

anna hajare , baba ram dev v/s kendra sarkar

नमस्कार मित्रो
                       एक बात मेरे दिमाग मैं कोंध रही है की बाबा रामदेव के आन्दोलन को कुचलने के बाद सरकार अति उत्साह से भरी है , लोकपाल बिल के बारें मैं जानने वाले लोग देश मैं बहुत कम हैं ,जब कि भ्रष्टचार की बात को समझ ने वाले लोग बहुत थे , फिर भी केंद्र सरकार ने बाबा राम देव के आन्दोलन को कुचलने  की हिमाकत कर दी , अन्ना हजारे जी को भी अब सरकार इसे ही निपटने के चक्कर मैं डोल रही है, धमकियाँ दे रही है कि या तो मन जाओ नहीं तो हम खुद ही बिल ड्राफ्ट कर लेंगे ! बाबा राम देव को  अन्ना हजारे के विरुद्ध उपयोग करने की चाल जो केंद्र ने चली वो फेल हो गयी तो रामदेव के आन्दोलन को कुचल दिया गया , बाबा रामदेव से कहा गया  
अन्ना आप के मंच पर नहीं आने चाहिए , आप प्रधानमंत्री और न्यायाधीशों को लोकपाल से बाहर रखने की सरकार की बात का समर्थन कर दो ,हम आप की मांगें मन लेंगे , बाबा सियासत के मैदान मैं मैं नए हैं , मन गए ,बयान भी दे दिया, पर सरकार मैं बैठे लोग भी घाघ हैं ,अपना कम निकलने पर बाबा को दूध से मख्खी की तरह निकल फैका , अन्ना के साथ इस प्रकार की घटना करने की पूरी आशंका है, कल आज तक पर अन्ना की बात सूनी , १६ अगस्त से अनशन की बात सरकार पचा नहीं परही है , इस लिए सावधानी से ही अनशन को सफल बनाया जा सकता है 
                                                                                                 जय हिंद 

गुरुवार, 16 जून 2011

anshan or sarkar ki asavendan sheelta

नमस्कार मित्रो 
                        स्वामी निगमानंद की अनशन के दोरान हुई म्रत्यु इस बात का प्रमाण है की अब सरकारों पर अनशन का कोई असर नहीं होता , चाहे सरकार बी एस पी की हो , भा ज पा की हो या कांग्रेश की हो ,सब एक ही थाली के चाटते है ,इन को आम आदमी से कोई लेना देना नहीं , स्वामी रामदेव के अनशन के रामलीला मैदान मैं जो घटना हुई उन पर उत्तराँचल सरकार ने कहा था की बाबा यहाँ अनशन कर सकते हैं , तो क्या बाबा रामदेव जी को निगमानंद जी की तरह शहीद कर देते , समय रहते जिस तरह बाबा रामदेव को अस्पताल ले जाया गया क्या उसी तरह से निगम नन्द को नहीं लेजाया जा सकता था ! 
                  दूसरी बात मिडिया की कीजाय तो अन्ना हजारे ,बाबा रामदेव प्रसिद्ध थे तो मिडिया ने कवर किया ,टी आर पी बड़ाई ,पैसा कमाया , किसी मंत्री ,मुख्य मंत्री की कुतिया भी मर जाये तो पूरा मिडिया उसे ब्रेकिंग खबर के रूप मैं दिखाना चालू कर देता है ,तो क्या मिडिया का फर्ज नहीं था की निगमा नन्द के अनशन की खबर प्रकाशित ,प्रसारित कर समर्थन दिया जाता . या कोई आन्दोलन खड़ा किया जाता , या निगमा नन्द के मरने के बाद जो खबर दिखाई जा रही है वो पहले नहीं दिखाई जा सकती थी ,
           सोचिये और अपनी बात रखना सीखो 
                                                                                      जय हिंद 

मंगलवार, 14 जून 2011

2 prakar ke baba

नमस्कार दोस्तों 
                        इस दुनियां मैं दो प्रकार के बाबा पाए जाते हैं १ तो देसी(हिंदी ) बाबा जैसे की हमारे बाबा योग गुरू रामदेव जी हैं ,दूसरे बाबा विदेसी ( अंग्रेजी ) बाबा ,राहुल बाबा ! नॉएडा के पास उत्तरप्रदेश के भट्टा पारसोल मैं मायाबती ने जब किसानों पर जुल्म किये , हत्या की तो राहुल बाबा अनसन पर बैठ गए वो भी बिना अनुमति के , यद् रहे की उत्तर प्रदेश सर्कार के विरोध मैं उन्होंने अनशन किया था , उसमें राहुल जी के साथ कांग्रेश के प्रवक्ता और महासचिव दिग्विजय सिंह थे , उस समय इन लोगों का कदम लोकतान्त्रिक था ,सही था ,मैं भी एसा मानता हूँ ,परन्तु बाबा राम देव ने केंद्र सर्कार की अनुमति लेकर रामलीला मैदान पर जब अनशन किया गया तो वो अलोकतांत्रिक कैसे होगया , जिसको कुचलने के लिए अंगरेजी राज की याद तजा कर दी गयी , हमलोग तो आजाद देश मैं जन्मे हैं , पर पड़ा जरूर है की अंग्रेज गांधी जी को इसी प्रकार अनशन पर से उठा कर जेल मैं दल देते थे ,गाँधी जी के पीछे पूरा देश खड़ा होता था तो जनता पर जुल्म किया जाता था , वोही कार्यवाही केंद्र ने ४ जून की रत मैं निर्दोष लोगों पर जुल्म कर के की गयी , जो घटना अंग्रेजी शासन की याद दिला गयी , 
                मैं इस की घोर निंदा करता हूँ , आप से निवेदन है आप भी अपनी -अपनी तरह से विरोध करे , अहिंसा वादी विरोध करे ,
                                शर्फरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मैं है 
                                देखना है जोर कितना बाजुए कातिल मैं है 
                                                                                                          जय हिंद 

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रविवार, 12 जून 2011

हेलो 
           आप सभी को नमस्कार 
                                               मकबूल फ़िदा हुसेन नहीं रहे , यह कोई प्रसन्नता का विषय नहीं है . परन्तु हुसेन जैसे व्यक्ति ,जिसने भारत मैं जन्म लेकर , भारत बासियों के दिल को बड़ी ठेस पंहुचाई है ! हुसेन साहब ने हिन्दू देवी देवताओं पर अच्छे चित्र भी बना कर प्रसंसा  का कार्य भी किया है! यह जन कर मुझे अच्छा लगा , जो अमर उजाला के माध्यम से मुझ को पता लगा , हुसेन के चित्र बद्रीनाथ धाम मैं किसी हॉल मैं लगे है