गुरुवार, 16 जून 2011

anshan or sarkar ki asavendan sheelta

नमस्कार मित्रो 
                        स्वामी निगमानंद की अनशन के दोरान हुई म्रत्यु इस बात का प्रमाण है की अब सरकारों पर अनशन का कोई असर नहीं होता , चाहे सरकार बी एस पी की हो , भा ज पा की हो या कांग्रेश की हो ,सब एक ही थाली के चाटते है ,इन को आम आदमी से कोई लेना देना नहीं , स्वामी रामदेव के अनशन के रामलीला मैदान मैं जो घटना हुई उन पर उत्तराँचल सरकार ने कहा था की बाबा यहाँ अनशन कर सकते हैं , तो क्या बाबा रामदेव जी को निगमानंद जी की तरह शहीद कर देते , समय रहते जिस तरह बाबा रामदेव को अस्पताल ले जाया गया क्या उसी तरह से निगम नन्द को नहीं लेजाया जा सकता था ! 
                  दूसरी बात मिडिया की कीजाय तो अन्ना हजारे ,बाबा रामदेव प्रसिद्ध थे तो मिडिया ने कवर किया ,टी आर पी बड़ाई ,पैसा कमाया , किसी मंत्री ,मुख्य मंत्री की कुतिया भी मर जाये तो पूरा मिडिया उसे ब्रेकिंग खबर के रूप मैं दिखाना चालू कर देता है ,तो क्या मिडिया का फर्ज नहीं था की निगमा नन्द के अनशन की खबर प्रकाशित ,प्रसारित कर समर्थन दिया जाता . या कोई आन्दोलन खड़ा किया जाता , या निगमा नन्द के मरने के बाद जो खबर दिखाई जा रही है वो पहले नहीं दिखाई जा सकती थी ,
           सोचिये और अपनी बात रखना सीखो 
                                                                                      जय हिंद 

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